Monday, February 21, 2011

બાને....


હવે
તારા ઓરડામાં
પગ મૂકુ છું ત્યારે
કોઇ વિશિષ્ટ ગંધ આવતી નથી,
તારી દવાની શીશીઓ-ટીપોઇ-પલંગ
અને તારુ કબાટ
કંઇ રહ્યુ નથી ત્યાં હવે તારુ!
જાણે
બધુજ તારી ચિતાનાં તાપમાં
ઓગળીને નષ્ટ થઇ ગયુ!!
પણ કોણ જાણે કેમ??
તું હજુ પણ ઓગળતી નથી
મારા મન માંથી....

3 comments:

  1. spechless.......!!what a words...najik ni vyakti ne gumavyanu dukh avuj kaik hoy che... fuull of feelings..

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  2. मैं कभी बतलता नहीं , पर अंधेरे से डरता हूँ मैं माँ
    यूँ तो मैं,दिखलता नहीं , तेरी परवाह करता हूँ मैं माँ
    तुझे सब हैं पता, हैं ना माँ – - तुझे सब हैं पता,,मेरी माँ

    भीड़ में यूँ ना छ्होरो मुझे, घर लौट के भी आ नेया पाऊँ माँ
    ेज ना इतना डोर मुजकको तू , याद भी तुझको आ नेया पाऊँ माँ
    क्या इतना बुरा हूँ मैं माँ — क्या इतना बुरा मेरी माँ

    जब भी कभी पापा मुझे, जो ज़ोर से झूला झूलते हैं माँ
    मेरी नज़र ढूँढे तुझे , सोच यही तू आ के थामेगी माँ
    उनसे मैं यह कहता नहीं — पर मैं सहम जाता हूँ माँ

    चेहरे पे आने देता नहीं, दिल ही दिल में घबराता हूँ माँ
    तुझे सब है पता है नेया माँ , तुझे सब है पता मेरी माँ

    मैं कभी बतलता नहीं , पर अंधेरे से डरता हूँ मैं माँ
    यूँ तो मैं,दिखलता नहीं , तेरी परवाह करता हूँ मैं माँ
    तुझे सब हैं पता, हैं ना माँ – - तुझे सब हैं पता मेरी माँ

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  3. અંકિતભાઈ,

    બા... મારી બા હોય કે તમારી કે બીજાની... બા એટલે મા ! સૌની મા એક સમાન અને છતાંયે બધી બા ની વિશેષતા જુદી.... જેમાં સર્વસ્વનું ઐક્ય અનુભવાય તે બા...

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